Sunday, January 24, 2016

(कविता) - क्षणोक्षणी तुज | आहे रे चालणे |

||श्री स्वामी समर्थ||
भक्त उवाच..
आयुष्य चालताना | तुजशी बोलताना|
मानसी समाधान | तूच एक |
तूच पाठीमागे | तूच भोवताली | 
तुझ्याविना खडतर | प्रवास माझा| 
देह झिजविला | चंदना सारखा | 

तेव्हा तूच सखा | पाठीराखा | 
तूच मायबाप | तूच आप्तबंधू | 
शरण मी तुज | क्षणोक्षणी | .......
 देव उवाच ... 
क्षणोक्षणी तुज | माझी आठवण |
तुझी भक्ती जाण | जाणतो मी |
क्षणोक्षणी तुज | वाटते का भीती | 
आहे माझी शक्ती | तुजसाठी | 
दोन हि पाऊले | तू चाल भरभर |
 मीही बरोबर | चालणार | 
 क्षणोक्षणी तुज | आहे रे चालणे |
 चालत राहणे | हेच ब्रीद | 
                                                              

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