||श्री स्वामी समर्थ||
भक्त उवाच..आयुष्य चालताना | तुजशी बोलताना|
मानसी समाधान | तूच एक |
तूच पाठीमागे | तूच भोवताली | तुझ्याविना खडतर | प्रवास माझा|
तेव्हा तूच सखा | पाठीराखा |
तूच मायबाप | तूच आप्तबंधू |
शरण मी तुज | क्षणोक्षणी | .......
देव उवाच ...
क्षणोक्षणी तुज | माझी आठवण |
तुझी भक्ती जाण | जाणतो मी |
क्षणोक्षणी तुज | वाटते का भीती |
आहे माझी शक्ती | तुजसाठी |
दोन हि पाऊले | तू चाल भरभर |
मीही बरोबर | चालणार |
क्षणोक्षणी तुज | आहे रे चालणे |
चालत राहणे | हेच ब्रीद |
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